Patna, Shravani Mela: कलयुग के श्रवण कुमार! कांवड़ में बूढ़े मां-बाप को बिठाकर 105 किमी के सफर पर निकले बेटे-बहू

Patna, Shravani Mela: कलयुग के श्रवण कुमार! कांवड़ में बूढ़े मां-बाप को बिठाकर 105 किमी के सफर पर निकले बेटे-बहू

Patna, Shravani Mela: कलयुग के श्रवण कुमार! कांवड़ में बूढ़े मां-बाप को बिठाकर 105 किमी के सफर पर निकले बेटे-बहू

Patna, Shravani Mela:  श्रावण का पवन महीना चल रहा है देश के कोने कोने से कई लोग इस पवन माह में बाबाधाम (देवघर) जाना चाहते है। इसी बीच एक ऐसा वाकया सामने आया है जिसने सभी को प्रसन्न कर दिया। दरअसल आज हम आपको कलयुग के श्रवण कुमार के बारे मे बताने जा रहे है। श्रावण के महीने में बिहार के जहानाबाद जिले में रहने वाले चंदन कुमार के वृद्ध माता-पिता ने बाबाधाम जाने की इच्छा जताई तो उनकी इच्छा को पूरी करने के लिए उनके बेटा और बहू श्रवण कुमार बन गए। जी हां, आपने सही सुना अपने माता पिता की इच्छा को पूरी करने के लिए बेटे-बहू ने बहंगी तैयार कर श्रवण कुमार की तरह कंधे पर कंवार लेकर बाबा धाम तक का 105 किमी का सफर शुरू किया।

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आज कलयुग में जहां बेटा और बहू बूढ़े मां-बाप की सेवा भी नही करते हैं, उन्हे बोझ समझते है वहीं इस कलियुग में बिहार का एक बेटा और बहू श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहे हैं। सावन मेले में यह जोड़ा अपने वृद्ध माता-पिता को तीर्थ (बाबाधाम यात्रा) पर उसी तरह ले गया है जैसे एक बार श्रवण कुमार गए थे। बिहार के जहानाबाद निवासी चंदन कुमार और उनकी पत्नी रानी देवी अपने माता-पिता को देवघर ले जाने के लिए श्रवण कुमार बने और अपने माता-पिता के साथ बाबाधाम की यात्रा पर निकल पड़े।

सुल्तानगंज से पानी भरकर ये जोड़ा देवघर के लिए निकल पड़ा। चंदन कुमार ने बताया कि हम हर महीने सत्यनारायण व्रत की पूजा करते हैं और उस दौरान मन में इच्छा जाहिर हुई कि माता-पिता को बाबाधाम की तीर्थ पैदल यात्रा कराई जाए, लेकिन माता-पिता बूढ़े हैं, इसलिए 105 किलोमीटर का लंबा सफर पैदल तय करना असंभव जैसा था।

Patna, Shravani Mela: कलयुग के श्रवण कुमार! कांवड़ में बूढ़े मां-बाप को बिठाकर 105 किमी के सफर पर निकले बेटे-बहू
Patna, Shravani Mela: कलयुग के श्रवण कुमार! कांवड़ में बूढ़े मां-बाप को बिठाकर 105 किमी के सफर पर निकले बेटे-बहू

चंदन ने बताया कि इसके लिए मैंने अपनी पत्नी रानी देवी को बताया तो उन्होंने भी इसमें हिस्सा लेने की बात कही।
चंदन ने बताया कि इसके बाद हमने तय किया कि हम माता-पिता को कांवर में बिठाकर अपने कंधों पर इस यात्रा को सफल बनाएंगे। इसी बीच मैंने कांवड़ के आकार की मजबूत भांगी तैयार करवा ली और रविवार को अपने पिता को सामने और मां को पीछे रखकर सुल्तानगंज से पानी भरकर यात्रा शुरू की।

वृद्ध दंपत्ति के बेटे ने बहंगी के आगे वाले हिस्से को कंधे पर उठा लिया है, जबकि पीछे से उनकी पत्नी रानी देवी उनका साथ दे रही थी। उन्होंने बताया कि यह एक लंबी यात्रा है, इसमें समय लगेगा लेकिन हम इस यात्रा को जरूर करेंगे।

बहू रानी ने बताया कि अगर पति के मन में इच्छा हुई तो मुझे भी इसमें हिस्सा लेने का मन हुआ। हमें खुशी है कि हमारे माता पिता बाबाधाम के दर्शन करने निकले हैं और लोग हिम्मत भी दे रहे हैं और इस बात को सराह भी रहे हैं।

रानी ने कहा कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। चंदन की मां ने बताया कि हम तो सिर्फ आशीर्वाद दे सकते हैं। मेरे बेटे को मजबूत बनाने के लिए भगवान से प्रार्थना करें। ऐसे समय में जब लोग अपने माता-पिता को घर से बाहर निकाल रहे हैं, एक बेटा और एक बहु माता-पिता को कंधे पर बिठाकर 105 किमी की यात्रा करना वाकई अकल्पनीय और सराहनीय योग्य है।

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