Chhath Puja 2023: पहली बार कर रहे हैं छठ का व्रत तो इन नियमों को भूल कर भी ना करें अनदेखा
Chhath Puja 2023: छठ व्रत करने से दांपत्य जीवन में सुख, संतान प्राप्ति जैसी कई मनोकामनाएं पूरी होती हैं। छठ पूजा स्नान–भोजन से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलती है। अगर आप पहली बार छठ पूजा कर रहे हैं तो कुछ नियमों को जानना जरूरी है।
Chhath Puja Vrat 2023
आस्था का पर्व छठ पूजा यूपी बिहार समेत कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार 4 दिनों तक चलता है। इस बार छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू हो रही है। सुख–समृद्धि की कामना के लिए 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है। इसे सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। अगर आप पहली बार व्रत रख रहे हैं तो आपके लिए कुछ नियमों को जानना बेहद जरूरी है।
छठ महापर्व 2023
प्रारंभ – 17 नवंबर
समापन 20 नवंबर को
छठ पर रखें इन बातों का ध्यान
अगर आप व्रत रख रहे हैं तो जरूरी है कि आप अपने परिवार के सदस्यों को चार दिनों तक तामसिक भोजन से दूर रखें और केवल सात्विक भोजन ही परोसें। इसके साथ ही मांस, शराब, झूठी चीजों, काम, क्रोधला, लच और धूम्रपान से दूर रहें। छठ व्रत करने से पहले लोगों को सात्विक भोजन करना चाहिए। छठ व्रत से लगभग 10 दिन पहले लोगों को अरवा चावल, सेंधा नमक का प्रयोग करना चाहिए। लहसुन और प्याज को पहले छोड़ देना चाहिए।
छठ व्रत के दौरान लोगों को खानपान के साथ-साथ बात व्यवहार पर भी बहुत ध्यान देना चाहिए। घर को साफ रखना चाहिए, जूते-चप्पल ों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। छठ का यह व्रत बहुत सारी मान्यताओं के साथ मनाया जाता है। घर के बाहर गंदगी नहीं होनी चाहिए। इस व्रत के दौरान हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
इस दिन मनाया जाएगा छठ का पर्व
17 नवंबर- स्नान करें।
छठ पर्व की शुरुआत स्नान के साथ होती है। इस साल छठ पर्व 17 नवंबर से शुरू होगा और छठ पूजा के पहले दिन मनाया जाएगा।
18 नवंबर- खरना
छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना किया जाता है। खरना का अर्थ है शुद्धिकरण। इस दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं। फिर शाम को मिट्टी के नए चूल्हे पर प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर बनाई जाती है।
19 नवंबर – शाम
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी सांझिया घाट पर डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. शाम के समय सूर्य देव की पूजा की जाती है।
20 नवंबर – सूर्योदय उषा हाफ
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होता है।
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन सप्तमी की सुबह मनाया जाता है। इस दिन भक्त उगते सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के उपवास का समापन करते हैं।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का अपना विशेष महत्व है। छठ पूजा में छठ माया की पूजा की जाती है। छठ पूजा का पर्व सूर्य देव की आराधना को समर्पित है। इस व्रत में उगते और डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। इस पर्व पर बिना खाए–पिए – 36 घंटे का व्रत रखा जाता है।
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निष्कर्ष- Chhath Puja
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